Friday, July 4, 2025

"माँ, आप ठीक हैं?

 



🌆 माँ की चुप्पी और बहू की तानों का शहर – कनाडा

एक माँ की आंखों से देखा गया परदेस

कनाडा... जहाँ बर्फ़ की चादरें बिछी हैं,
पर एक माँ के आँसू गर्म हैं।
जहाँ चमकते घर और बड़ी गाड़ियाँ हैं,
पर माँ का दिल रोज़ कुछ खो बैठता है।

ये कहानी सिर्फ़ एक माँ की नहीं —
ये हर उस माँ की है जो बेटे के कहने पर परदेस चली आई,
पर वहाँ उसकी जगह सिर्फ़ "बच्चे संभालने वाली बाई" के तौर पर तय हुई।

👵 वो माँ जो भारत से चली आई थी…
वो माँ जिसने जीवन की हर लड़ाई अकेले लड़ी,
पति ने छोड़ दिया था, पर बच्चों को कभी कमी नहीं आने दी।
जब बेटा कनाडा में बस गया, तो माँ ने सोचा —
“बुढ़ापे में बेटे के साथ रहूँगी, पोते को गोदी में खिलाऊंगी… और चैन से जीऊँगी।”

पर हकीकत इससे बहुत अलग थी।

💔 जब बहू की मुस्कान, तानों में बदल गई…
शुरुआत में सबकुछ ठीक रहा।
लेकिन कुछ ही महीनों में बहू का व्यवहार बदलने लगा:

ताने: “आपकी वजह से हमारी आज़ादी चली गई…”

उलाहने: “आपको कनाडा लाकर गलती की।”

अपमान: “किचन में मत आइए, सब गड़बड़ कर देती हैं।”

और बेटा…
वो चुप था।
या कहिए, अब बहू का पक्ष लेने लगा था।

🤐 माँ की चुप्पी… एक रोज़ का दस्तूर बन गई
माँ ने शिकायत नहीं की।
कभी नहीं की।

बस हर रोज़ अपने हिस्से का अपमान पी गई —
जैसे चाय का एक कड़वा घूंट।

कभी बहू ने सुनाया, कभी बेटा चुप रहा,
और माँ ने मुस्कुरा कर कहा —
"कोई बात नहीं… बच्चे हैं, कुछ कह भी जाते हैं।"

पर अंदर कुछ मर रहा था…

🧾 माँ अब बोझ है… यही अब सच है?
  1. पोते को देखना ज़रूरी है,
  2. खाना बनाना माँ का काम है,
  3. घर साफ़ रखना भी उसकी जिम्मेदारी,

पर बात-बात पर ताने — "अब बहुत हो गया, अपने देश लौट जाइए…”

जिसने बेटे को कड़ी धूप में खुद भीगकर पाला,
अब उसी को ‘स्पेस’ की वजह से घर से दूर किया जा रहा है।

🧠 क्या यही है कनाडा में माँ की कहानी?
हाँ, यहाँ हर घर ऐसा नहीं है।
पर हर गली में एक माँ है,
जो चुप रहती है क्योंकि “बेटा शर्मिंदा न हो…”
जो सहती है क्योंकि “माँ कभी अपनों से मुँह नहीं मोड़ती…”

🙏 पाठकों से निवेदन:
अगर आप इस कहानी को पढ़ रहे हैं और आपके भी माता-पिता आपके साथ विदेश में रहते हैं —
तो एक दिन उनके पास बैठकर सिर्फ़ "माँ, आप ठीक हैं?" पूछिए।
शायद वो कुछ नहीं कहेंगी,
पर उनकी आँखों में आँसू उतर आएँगे —
जो कह देंगे सबकुछ।

🔖 यह ब्लॉग “Maple के नीचे” के लिए समर्पित है
भारत से आए उन बुज़ुर्गों के लिए,
जो बर्फीली जमीन पर अब गर्म आँसू बहाते हैं।

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